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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2782
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।

उत्तर -

1. बांध कर रंगाई (Tie and Dye) - भारत में बांध कर रंगने की कला 1600 वर्ष पुरानी है। यह कहा जाता है कि रंगाई में बांध कर रंगने की कला विशेषतः गुजरात तथा राजस्थान के क्षेत्रों में विकसित हुई। जयपुर के लोग विशेषकर इस कला में निपुण (skilled) हैं।

मुगल काल में, बांध कर रंगने के सबसे बढ़िया कपड़े (pieces) मुख्यतः गुजरात तथा राजस्थान में उत्पादित किए गए, जिन्हें बांधनी (bandhani) कहा जाता था।

कुछ और डिजाइनों में मानव आकृतियाँ (Human figures), नाचती गुड़िया, घोड़ा, हाथी, बाघ, शेर, पेड़ तथा तोता और मोर जैसे पक्षी प्रदर्शित किए गए हैं।

बांधनी (Bandhani) अथवा बांध कर रंग करना एक ऐसी कला है जोकि भारत के गाँवों में अधिकतर औरतें करती हैं। काम करने वालों (workers) को बन्धनारियाँ (bandhanaris) कहा जाता है जोकि अपने अंगूठों अथवा अंगूठे के पास अंगुली (fore fingers) के नाखून इतने बढ़ा लेते हैं ताकि वह गाँठें बाँधते समय छोटे मुँह की चिमटी (pincers) का काम कर सकें।

बन्धनी अथवा चुनरी भारतीय औरतों के लिए एक तरह का "सुहाग" का चिन्ह है तथा गुजरात की महिलाओं द्वारा शादी पर स्कार्फ (scarf) के रूप में पहनी जाती है। बांधनी ओढ़नियाँ 1/2 मीटर लम्बी होती हैं तथा मध्य और अधिकतर पश्चिमी भारत के कबीला निवासियों द्वारा प्रयोग की जाती है। पुरुष इसे दैनिक पहनावे में पगड़ी के रूप में उपयोग करते हैं।

बन्धनी में कुछ रंगों के उपयोग को शुभ माना जाता है। धर्म और रीति-रिवाजों का इस पर बहुत बड़ा प्रभाव है तथा दोनों के लिए विशेष अवसरों पर विशेष रंगों की आवश्यकता होती है। लाल, पीला तथा सफेद खुशी और आनन्द के प्रतीक है।

बांधनी में बांध कर रंगने की परम्परागत (traditional) विधि बताने योग्य है। बहुत उज्जवल रंग और नमूने वस्तु की कई बार तह लगाकर तथा फिर उसे बांध कर प्राप्त किए जाते हैं। यह रेशम तथा सूत के लिए किया जाता है। तह लगाने के पश्चात् इसे एक अटूट धागे के साथ इस प्रकार बांधा जाता है कि वह उन भागों को रंग के सम्पर्क में नहीं आने देता तथा यह सुरक्षित भाग बिना रंग किए प्राप्त होते हैं। इस तकनीक से चिन्ह (spots), वृत्त अथवा बिन्दुओं के समूह बहुत कुशलता से बनाए जा सकते हैं।

डिज़ाइन, गाँठें लगाना तथा रंगाई करना अलग-अलग लोगों द्वारा किए जाते हैं। डिजाइन बनाने के लिए, बांध कर रंगने के लिए आवश्यक वस्तुएँ, डिजाइनर अथवा चित्रनर (chitranar) के पास भेज दी जाती हैं। ये बन्धनारी (bandhanari) के पास रंगने के लिए भेज दिया जाता है। गाँठ वाली वस्तुएँ रंजयिता (dyer) के पास भेज दी जाती हैं।

उपकरण तथा उप-साधन
(Tools And Accessories Required)

1. चिलमची (basins) - 3
2. कटोरे (bowls) - 2 से 3
3. स्टोव और गैस
4. बड़ा लकड़ी का चम्मच अथवा लकड़ी की लम्बी छड़ी
5. छोटा चम्मच (tea spoon)-1
6. एक छोटी कैंची
7. एक नोकीली पैंसिल अथवा बुनने वाली सिलाई अथवा एक बालों में लगाने वाली पिन (A hair pin)
8. सफेद धागा - 1 रील
9. साधारण नमक (common salt)
10. रंग (dyes)
11. एल्यूमीनियम या किसी धातु की देगची।

बांध कर रंगने के लिए उपयुक्त वस्त्र
(Suitable Fabrics for the TIE and DYE)

1. जार्जेट (georgette)
2. लट्ठा (lawn)
3. कैम्बरिक (cambric)
4. पॉप्लिन (poplin)
5. खद्दर (khaddar)
6. रेशम (silk)
7. मलमल (mulmul)।

डिजाइन को बनाना (To Make a Design)

वस्त्र पर एक नियमित दूरी पर बिन्दु (dots) या वृत्त लगाओ अथवा कुछ स्थानों पर इच्छानुसार तीन या चार या पाँच के समूहों में बिन्दु लगाओ।

बांधने के तरीके (Methods of Tying)

विधि (I) (Method I) - प्रत्येक बिन्दु को दो अंगुलियों अथवा नाखूनों के साथ पकड़े (अंगूठा तथा पहली अंगुली)। कम-से-कम कपड़ा उठाना चाहिए ताकि रंगाई करने पर बहुत अल्प बिन्दु (tiny spots) प्राप्त हों। वस्त्र पर बाहर की ओर उभरे हुए बिन्दु को ध्यानपूर्वक पकड़ कर इसके किनारे से थोड़ा नीचे तक धागा बांध दें। धागे को दो या तीन लपेटे दें। सबसे पहले लघु बिन्दु बांध कर अन्त में बड़े क्षेत्रों पर ध्यान दें।

विधि (II) (Methods II) - यदि वस्त्र पर छोटे वृत्त अंकित किए जाएँ तब वस्त्र को वृत्त के केन्द्र से पकड़ो तथा बांधने से पहले इसे समान तहों में लगा कर थपथपा दीजिए। इस विधि में, तहों को वृत्त के किनारे के नीचे से पकड़े तथा धागे को वृत्त के किनारे से बाहर निकले हुए बिन्दु तक तथा वापिस लपेटो तथा कम कर गाँठ बांध दीजिए।

विधि (III) (Method III) - यह बात ध्यान रखने योग्य है कि तह किए बिन्दु का छोर (extreme) से बांधना असम्भव है तथा रंगे हुए वस्त्र को केन्द्र में दिखाई देने वाला बिन्दु बांध कर रंगने की विशेषता है। सजावटी प्रभाव देने के लिए, इन बिन्दुओं में मनके (beads) या चने (grams) बांध कर इनका आकार बढ़ाया जा सकता है।

बांधने का काम धागे से इस तरह किया जाता है कि प्रत्येक गाँठ या बिन्दु को बांधने के बाद धागे को काटा नहीं जाता। एक अटूट धागा उस समय बहुत उपयोगी होता है जब पूरे वस्त्र पर बने नमूने एक दूसरे से सटे हुए लघु बिन्दुओं के रूप में हों। यहाँ पर भी धागा थोड़ा-सा अथवा अलग-अलग बांधा जाता है। यदि मनके या चने अन्दर डाले जाएँ, प्रत्येक बिन्दु को अलग-अलग धागे से बांधना उचित होगा।

गाँठों को बांधने के लिए सफेद धागे का प्रयोग करना चाहिए जोकि सिलाई के काम आता है।

रंगना (Dyeing)

जब सारा वस्त्र बांधा जा चुका हो, यह रंगाई के लिए तैयार है।

रंग के घोल की तैयारी (Preparation of the dye bath)

वस्त्र - एक गज
शीत जल-2 पौंड (Ibs) (4 गिलास अथवा एक गज को डुबोने के लिए पर्याप्त मात्रा)
रंग (वर्ण) - एक छोटा चम्मच प्रत्यक्ष रंग
साधारण नमक - एक बड़ा चम्मच।

विधि - 1 (Method - 1) - शीत जल को धातु की देगची में उबलने के लिए आग पर रख दें। इस समय के दौरान तीन चम्मच ठण्डा पानी लेकर रंग के साथ पेस्ट (paste) बनाएँ। यह पेस्ट बहुत महीन होना चाहिये। यह पेस्ट उबलते पानी में मिलाइए। पानी को 5 से 10 मिनट तक उबलने दीजिए। अब इसमें साधारण नमक मिलाइए तथा लगातार हिलाते रहिए। बांधे हुए वस्त्र को ठण्डे पानी में 1-2 घण्टे के लिए भिगोएँ।

शीत जल में भिगोए वस्त्र को बाहर निकाल ले। उसमें से निचोड़ कर जितना पानी निकाल सकते हैं, निकाल दें। वस्त्र को सपाट खोलकर दोनों सिरों से पकड़कर रंग में एक दम डुबो दें जोकि उबल रहा हो। लकड़ी के चम्मच अथवा छड़ी से वस्त्र को रंग में पूरा डुबाकर रखें।. लकड़ी के चम्मच के साथ कपड़े को ऊपर से नीचे पलट दें ताकि रंग समान रूप से फैल जाए। यदि वस्त्र को पलटा न जाए तो इस पर रंग के धब्बे बनने की सम्भावना होती है।

वस्त्र कम-से-कम 15 मिनट तक रंग के घोल में रहना चाहिए तथा लगातार पलट कर इसे हिलाते रहना चाहिए। फिर वस्त्र को लकड़ी के चम्मच द्वारा रंग के घोल से उठाकर नल के चलते पानी में रखिए। यदि नल के पानी की सुविधा न हो तो इसे पानी की बाल्टी या चिलमची में रखिए तथा पानी को बार-बार तब तक बदलते रहें, जब तक कि वह साफ न हो जाए, इससे रंगे हुए वस्त्र में से फालतू रंग निकल जाता है।

रंग को स्थिर (fix) करने के लिए, एक चिलमची में ठंडा पानी ले। इसमें तीन बड़े चम्मच नमक के डाले। इसे अच्छी तरह घोल लो। तब रंगे हुए वस्त्र को लगभग 3 से 4 घण्टे तक इसमें रखिए। अब इसे नमक वाले पानी से बाहर निकाल कर ताजे पानी में अच्छी प्रकार खंगालें फिर निचोड कर पानी निकाल दें तथा वस्त्र को खोलकर छाया में या अन्दर ही सुखा लें।

वस्त्र को एक से अधिक रंग में रंगने के लिए दो प्रकार हैं। पहले प्रकार में इसे बांध कर डुबोया जाए और खंगाल कर उपर्युक्त अनुसार सुखाया जाए। जब वस्त्र बिल्कुल सूख जाए, बंधे हुए कुछ भाग को खोलकर वस्त्र को दूसरे रंग में डुबोना चाहिए। इस विधि को बार-बार दोहराया जाता है। जब तक कि इच्छानुसार रंग प्राप्त न कर लिए जाएँ लेकिन एक सामान्य सिद्धान्त के तौर पर तीन से अधिक रंगों का उपयोग उचित नहीं है क्योंकि जरूरत से अधिक लगातार रंगने पर वे मटीले (muddy) हो जाते हैं।

विधि - 2 (Method - 2) - दूसरी विधि में, पहली रंगाई से पहले केवल कुछ धागे ही बांधे जाते हैं, दूसरी रंगाई से पहले कुछ और धागे बांधे जाते हैं और इस प्रकार यह विधि आगे चलती रहती है। इस प्रकार वस्त्र के दो भाग एक बार में ही रंगे जाते हैं।

यदि केवल एक रंग की आवश्यकता हो, यह साधारण विधि है। रंगों की योजनाएँ पहले से ही ध्यानपूर्वक तय कर लेनी चाहिए ताकि यह बात यकीनन हो कि वस्त्र के वे भाग जो दो या तीन बार विभिन्न रंगों में रंगे जाने हों अन्त में सुहावने और आनन्ददायक लगें न कि अरुचिपूर्ण मालूम हों। सबसे हल्का रंग पहले से गहरा रंग बाद में चढ़ाया जाना चाहिए तथा यह बात ध्यान देने योग्य है कि रंग रंगे हुए वस्त्र की अपेक्षा रंग के घोल में अधिक गहरा दिखाई देता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
  2. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
  3. प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
  4. प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
  5. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
  6. प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
  7. प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
  8. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
  9. प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
  10. प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
  12. प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
  14. प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  17. प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  18. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
  19. प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
  20. प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  21. प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
  25. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
  27. प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
  28. प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  29. प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
  30. प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
  33. प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
  34. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
  35. प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
  37. प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
  38. प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
  39. प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
  42. प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
  44. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  49. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  50. प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
  51. प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
  52. प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
  53. प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
  54. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  56. प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
  57. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
  60. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  63. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  65. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
  66. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
  68. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
  71. प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
  73. प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
  74. प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  75. प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  76. प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  77. प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
  78. प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
  81. प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
  82. प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
  84. प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
  85. प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
  86. प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
  88. प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
  90. प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
  91. प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
  92. प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
  93. प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
  94. प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
  96. प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
  97. प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
  98. प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
  99. प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
  100. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
  101. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।

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